एक समय की बात है जब कथा बहुत ही खूबसूरत थी। उस स्थान पर एक छोटा लड़का रहता था, जिसका नाम रघुवर था। वह बहुत ही भोला लड़का था और सब लोग उससे प्यार करते थे। एक घटना उसे एक अद्भुत सपना आया, जिसमें उसने देवता को देखा। देवता ने उसे कहा कि वह बहुत ही उत्कृष्ट लड़का है और उसे सफलता मिलेगा। राघवेन्द्र सुबह उठा और उसने अपने सपने को याद किया।
उसकी आँखों में जश्न थी, क्योंकि वह जान गया था कि अब उसकी जिंदगी बदलने वाली है।
जयश्री मिश्रा की मैथिली विवाह रागिनि
यह पुस्तक महाशय जयश्री मिश्रा ने लिखी. यह विवाह रागिनि का एक समृद्ध वृत्तचित्र. यहाँ विभिन्न प्रकार के हिंदी राग और गीत हैं जो युवा को सीखने में मदद करते हैं. यह {ग्रंथसंगीत का एक महत्वपूर्ण उदाहरण. here
मैथिली पारंपरिक विवाह गीत: अलबेला रघुवर आयो जी
एक विशिष्ट और मनमोहक संगीत, जो मैथिली समाज में शादी के मौके पर गाया जाता है। यह गीत "अलबेला रघुवर आयो जी" से शुरू होता है और आगे की पंक्तियाँ विवाह की खुशियों का वर्णन करती हैं । यह गीत दूल्हे को स्वागत करने और दुल्हन को बधाई देने के लिए गाया जाता है। मैथिली पारंपरिक संगीत में इसका विशेष स्थान है, जो इसे एक अद्भुत कला रूप बनाता है।
अलबेला रघुवर आया जी - प्रेम और विवाह का अलग संगीत
यह गाना बहुत ही सुंदर है जो मोहब्बत और युग्मन की कहानी बताता है। यह धुन बहुत मनोरंजक है और लोगों को खुश करती है। गाना अनुभव की तरह है जो उन लोगों को प्रेम और विवाह के बारे में सोचने पर मजबूर करती है।
यह गाना बहुत लोकप्रिय है
- इस गाने की कहानी एक नई है
- यह गाना सभी धर्मों और जातियों के लोगों को पसंद आता है
- इस गाने का संगीत एक अनोखा अनुभव है
मातृभूमि मैथिली की धुन में आलिंगन रघुवर आयो जी
यहाँ, मैथिली के दिलों में उमंग भरने वाला स्वागत है।
रामेश्वर का पावन मैथिली धरती में, एक नया सवेरा लाने वाला है। उनके पैरों में,
उत्साह का संचार होगा, और उनकी उद्गार में,
न्याय की घोषणा होगी। महिलाएं उनके साथ, मैथिली की धुन में एक नया संगीत गाएंगे।
जयश्री मिश्रा द्वारा प्रस्तुत अलबेला रघुवर आयो जी
{अलबेला रघुवर आयो जी एक सम्मोहक | शानदार | मनोरम नाटक है जिसे जयश्री मिश्रा की प्रस्तुत किया गया है। यह प्रसिद्ध पात्रों और हर्षित कथानक के साथ, दर्शकों को आकर्षित करता है । इसमें एक अनोखा राजनीतिक सन्देश भी है जो लोगों को प्रेरित करता है।
- इसका एक कादम है कला की दुनिया में।
- यहाँ प्रशंसा जरूर होगी।
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